000 | 01472 a2200229 4500 | ||
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005 | 20240904160618.0 | ||
008 | 200225b xxu||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _qpbk. | ||
041 | _aHindi | ||
082 |
_a307.72 _bSIN-S |
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100 |
_aसिंह, बैजनाथ _926272 |
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100 |
_aSingh, Baijnath _961926 |
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245 |
_aसामुदायिक ग्रामीण विकास / _cबैजनाथ सिंह |
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246 | _aSamudayak gramin vikash | ||
260 |
_aNew Delhi : _bNational Books Trust, _c2011. |
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300 | _a165 p. | ||
520 | _aयह पुस्तक गाँवों में रहने वालों में स्वावलंबन, स्वाभिमान, और सतत परिश्रम की भावना जागृत करने का प्रयास करती है | खेती के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रमदान, कुटीर उद्योग] और आय के अन्य साधन किस तरह के आदर्श गाँव की परिकल्पना को साकार कर सकते है, इस तथ्य को लेखक अपने अनुभवों के साथ प्रस्तुत कर रहे है | | ||
650 |
_aRural sociology _926273 |
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650 |
_aRural - sociological -development _926274 |
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650 | _aVillages | ||
942 | _cBK | ||
999 |
_c10437 _d10437 |